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योग की कक्षा -एक बार फ़िर
भारत मे दूसरे अंतर्राष्टीय योग दिवस का आयोजन 21 जून को चंडीगढ़ के कैपिटल कॉंप्लेक्स में किया गया। जिसमे प्रधानमंत्री मोदी जी ने भाग लिया। दरअसल विगत वर्ष संयुक्त राष्ट्र ने नरेंद्र मोदी की पहल पर 21 जून को योग दिवस के रूप में घोषित किया था।
इस वर्ष भारत समेत विश्व के 192 देशों ने योग दिवस मनाया। यमन मे गॄह युध्द के कारण योग दिवस ना मनाया जा सका। अंतर्राष्टीय योग दिवस के मौके पर नरेंद्र मोदी द्वारा एक अभिभाषण मे कहा गया कि ‘पूरे विश्व का योग को लेकर देश को पूरा समर्थन मिला इसलिए देश मे भी योग पर राजनीति छोड़ सबको एक साथ आगे बढ़ना चाहिए। योग का शारीरिक मानसिक और आत्मा से सम्बन्ध है इसलिए हमें अपने पूर्वजों की इस विरासत को आगे बढाना चाहिए।’ 21 जून को मनाए गए इस योग दिवस पर लगभग 30 हज़ार लोगों ने एक साथ योग किया।
दूसरे योग दिवस का उत्साह सरकारी कार्यालयों से लेकर निजी संस्थानों तक मे देखा गया है फ़िर चाहे वह पी डब्लू डी कार्यालय हो या कोई व्यापारिक संस्थान, सभी जगह इसकी उत्सुकता देखने को मिली। इतना ही नहीं देश के कई राज्यों मे मानसूनी बारिश भी योग दिवस के उत्सव को धो नही पाई।
वहीं यदि हम विरोध की बात करें तो यह कोई पहली बार नहीं है कि जब सरकार द्वारा कोई पहल की गई हो और उसमे विपक्ष ने कोई आना-कानी ना की हो। यदि सीधे शब्दों मे कहें तो भारत मे किसी भी सरकार मे विपक्ष का विरोध करना एक परम्परा सा बन गया है।विगत वर्ष मनाए गये योग दिवस पर विपक्ष का गुस्सा और आपत्तिजनक व्यवहार देखने को मिला था, उसी प्रकार इस बार भी वही बहिष्कार देखने को मिला। भारत को संस्कृतियों और धर्मों के संगम का देश कहा जाता है परंतु देश मे किसी कार्यक्रम को लेकर राजनीति ना हो ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है। गत वर्ष कुछ मुस्लिम कट्टर वादियों द्वारा योग करने को धर्म के विरुद्ध बताया गया था अपितु ऐसा नही है। मुस्लिम समाज मे अदा की जा रही पाँच वक्त की नमाज़ भी कुछ इस तरह से अदा की जाती है कि उसे हम योग की श्रेणी मे रख सकते है। यही कारण है कि इस बार विश्व के कई मुस्लिम राष्ट्रों ने भी इसमें अपनी भागेदारी निभाई ।
यह बेहद शर्मनाक बात है कि चंडीगढ़ मे योग दिवस के मौके पर विपक्ष का इसे लेकर बहिष्कार किया गया और साथ ही काले झंडे दिखाये गये। इस विरोध के पीछे राजनीति यह की जा रही थी कि मोदी द्वारा किया गया यह कार्यक्रम केवल एक ढोंग है, एक दिखावा है। गौरतलब है कि पंजाब मे जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। हालाँकि यह सच है कि योग कोई मोदी द्वारा जनता को दी गई देन नहीं, यह तो कालांतर से समाज मे प्रचलित है परंतु विगत कुछ वर्षों से लोग इसके लाभ को भूलते जा रहे है जिसके कारण प्रधानमंत्री द्वारा संयुक्त राष्ट्र के सामने इसे मनाने का एक प्रस्ताव रखा गया जिसे मान्य कर दिया गया। क्योंकि योग से आत्मा का परमात्मा से मिलन कहा गया है और कहा भी जाता हैं कि ‘प्रथमहि सुख निरोगी काया’अर्थात आप निरोगी हैं तो यह आपके लिए संसार का सबसे बड़ा सुख है। विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस बार अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर लोगों का जमावड़ा पिछले वर्ष की तुलना मे दोगुना था।
–रेहान अहमद
कांफ्लूएंस इंडिया
confluenceindia.blogspot.com
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