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क्यू आज इंसान अपने अन्दर छुपी इंसानियत को भूलता जा रहा वह क्यू भूलता जा रहा कि अगर एक इंसान को दर्द का एहसास है तो दूसरे को भी है इंसान चाहे जो भी हो जैसा भी हो परन्तु इंसानियत उसमे सबसे बड़ी चीज़ है फ़िर चाहे वह इंसान किसी भी जात या मज़हब से ताअल्लुक़ रखता हो पर आज जो कुछ भी इस दुनिया में हो रहा है उसे देख कर तो नहीँ लगता कि आज इंसानियत एक लुक्मे के बराबर भी बची है;
जैसा कि हम जानते है आज कल दुनिया को अपनी मुठ्ठी और उन पर हुक्म करने के लिए ISIS अपने चरम पर पहुँच रहा है लेकिन क्या मासूम का खून बहा कर ,औरतों की इज्ज़त उछाल कर या किसी पर जुल्म-ओ-सितम करना ज़ायज़ है…..मुझे तो यह समझ नही आता कि आखिर उनका जमीर उन्हे ऐसा करने की इजाजत कैसे दे सकता है. ISIS अपने ऐसा करने की वजह दुनिया भर में इस्लाम की हुकूमत का बढ़ना बताता है जबकि ऐसा कहा जाता है और ऐसा देखा गया है कि इस्लाम धर्म सुकून का दूसरा नाम है ना कि ज़बरदस्ती हैवानियत और दरिंदगि का…साथ ही साथ ISIS अपने मकसद को जिहाद का नाम दे रहा है जबकि जिहाद का असली मतलब तो स्ट्रगल अर्थात परिश्रम से है यदि जिहाद ही करना तो वह माँ की सेवा से भी होगा ना कि जुल्म ढह कर…. किसी भी शक्स पर गुस्ताखी कर फरेब कर या गर्दन पर शम्शीर रख कर उनके मज़हब या फ़िर अपनी हुकूमत को सर्द-ओ-ताज नही किया जा सकता
मैं नही जनता कि इस गुट के पीछे हरे झंडे वाले हैं या फिर सफेद और ना ही में यह जानने के लिऐ इक्छायें रखता हूँ मैं बस यह ज़रूर जनता हूँ कि जो भी आज किया जा रहा है वह सही बिल्कुल भी नही है…क्यूकि इसमे कोई एक जिंदगी नही ,कोई एक देश नही ,बल्कि हज़ारों लोगों उन हज़ारों बेगुनाह कि ज़िंदगी को ख़त्म किया जा रहा है
-Rehan Ahmad
कांफ्लूएंस इंडिया / Confluence India
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